डायबिटीज़ को जड़ से मिटाने की बात में कितना दम: डॉ अनिमेष चौधरी।

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कई बार कुछ लोग सुगर की बीमारी को अलग अलग तरीक़े से जड़ से मिटाने की बात करते है और इसके लिए बीटा सेल्स को इम्प्रूव करने के दावे भी करते है ।
पर हक़ीक़त में लोगो में पाये जाने वाले सबसे सामान्य डायबिटीज टाइप २ डायबिटीज में कई बार शुरुआती स्टेज में बीटा सेल अधिक ऐक्टिव होती है क्यूकी आपका शरीर इंसुलिन बना तो पा रहा होता है पर उपयोग नहीं कर पा रहा होता (जिसे इंसुलिन रेजिस्टेंस कहते है ) तो ऐसे में कम कार्बोहाइड्रेट युक्त खानपान और मांसपेशियों को मज़बूत करने वाले व्यायाम बहुत सहायक होते है । कई लोग अगर सही जीवनशैली अपना ले तो उनका सुगर इसी से कंट्रोल हो सकता है पर व्यावहारिक तौर पर अधिकतर मरीज़ इस स्तर का अनुशासन अपना नहीं पाते या उसको लंबे समय तक बरक़रार नहीं रख पाते। ऐसे में इनको दवाईयो की सहायता की ज़रूरत होती है क्यूकी बढ़ा हुआ सुगर शरीर को नुक़सान तो पहुँचा ही रहा है और जितनी जल्दी आप इस को कंट्रोल कर लेंगे, शरीर के अंगों को नुक़सान उतना ही कम होगा।
इन्सुलिन रेजिस्टेंस जीवन शैली के अलावा आनुवंशिकता / जेनेटिक्स से भी आता है और इसको कम करने में सहायक दवाईया भी अभी उपलब्ध है जो सुगर की दवाईयो के कॉम्बिनेशन में प्रमुख अवयव होता है ।
कई बार यह कारण और दूसरे कारण सिर्फ़ लाइफ स्टाइल से कंट्रोल भी नहीं होते, जिससे आपको दवाईंयो की सहायता लेनी पड़ती है ।
दिक़्क़त ये है कि सुगर बीपी जैसे बीमारिया तुरंत दिक़्क़त नहीं करती और इनके मरीज़ भी करोड़ों की संख्या में है इसीलिए लोगो को इनके जड़ से इलाज का दावा करने में लाभ दिखता है (जबकि ये जीवन शैली से जुड़ी बीमारिया है जो पिछले १०० सालों में ही तेज़ी से बढ़ी है ),
पर आपने देखा होगा कि तुरंत मृत्यु देने वाली बीमारिया जैसे एक्सीडेंट केस, हार्ट अटैक, टीबी मलेरिया या बिगड़ा डेंगू या सेप्सिस में ये लोग चीज़ो को जड़ से ठीक करने का दावा नहीं करना चाहते ।
आपको समझना चाहिए की एक ही बीमारी की गंभीरता अलग अलग व्यक्तियों में विभिन्न हो सकती है . कोविड में एक ही परिवार के कई लोगो को इन्फेक्शन हुआ पर किसी व्यक्ति को बुख़ार भी नहीं आया और कोई व्यक्ति वेंटीलेटर में पहुँच गया, जबकि वायरस तो एक ही था ।
ऐसे केसेज में कई बार बुजुर्ग और बीमार व्यक्ति बच गये और जवान स्वस्थ व्यक्ति ईश्वर चरणों में चले गये।
मेडिकल साइंस में ऐसा विरोधाभास कई बीमारियो के साथ होता है , इसीलिए कई का सुगर लंबे समय तक बढ़ा रहता है पर उनको कुछ नहीं होता , कई को जल्दी ही किडनी या दिल की बीमारी हो जाती है । इसीलिए आपको अपनी बीमारी किसी दूसरे की बीमारी या इलाज से कंपेयर करने से पहले सोचना चाहिए। एक ही बीमारी दो अलग अलग व्यक्तियों में अलग अलग परेशानीया कर सकती है
वैज्ञानिक रूप से ऐसा माना गया है कि
यदि आप अपना बीपी और सुगर निश्चित सीमा से नीचे रखते है तो आपके शरीर को होना वाला नुक़सान बहुत हद तक कम हो जाता है
आपको समझना है की किसी की बीमारी को जड़ से मिटाने का दावा तभी तक है जब तक उसका असली जड़ से मिटाने का इलाज नहीं आ जाता , जैसे ही वो इलाज आता है बीमारी और वो दावे दोनों ही ख़त्म हो जाते है जैसे की पोलियो और बड़ी माता के साथ हुआ, वरना इससे पहले बहुत से केंद्र इनको जड़ से मिटाने का दावा करते ही थे

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